Hungama Hai Kyun Barpa
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Type: Poetry Book
Collections: Books, Poetry Books, Rekhta Books,
PRODUCT DETAILS
अकबर इलाहाबादी को उर्दू शाइ'री में हास्य-व्यंग्य का बादशाह माना जाता है। प्रस्तुत किताब में अकबर इलाहाबादी की संजीदा और हास्य शायरी का संग्रह है जिसका इन्तिख़ाब आज के नुमाइन्दा शायर जनाब फ़रहत एहसास ने किया है। अकबर इलाहाबादी के कलाम में उत्तरी भारत में रहने-बसने वालों की तमाम मानसिक व नैतिक मूल्यों, तहज़ीबी कारनामों, राजनीतिक आन्दोलनों और हुकूमती कार्रवाइयों के भरपूर सुराग़ मिलते हैं। उनकी शायरी ज़माना और ज़िन्दगी का आईना है। उनका अन्दाज़-ए-बयाँ कहीं क़लन्दराना, कहीं शाइरा'ना, कहीं तराश-ख़राश के साथ, कहीं सादा, कहीं पारंपरिक और कहीं आधुनिक एवं इन्क़िलाबी है।
About The Author- सय्यद अकबर हुसैन रिज़वी, जो 'अकबर इलाहाबादी' के नाम से मश्हूर हैं, 16 नवम्बर, 1846 को ज़िला इलाहाबाद के क़स्बा बारह में पैदा हुए। उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर हुई और कम-उम्र में उन्होंने फ़ारसी और अरबी ज़बान सीख लीं। हालात से मज्बूर होकर पंद्रह साल की ही उम्र में उन्हें नौकरी तलाश करनी पड़ी। कुछ वक़्त रेलवे के एक ठेकेदार के पास नौकरी करने के बा'द उन्होंने अंग्रेज़ी में कुछ महारत हासिल की और 1867 में वकालत का इम्तिहान पास कर लिया। बा'द में अ'लीगढ़ सहित विभिन्न स्थानों पर उनके तबादले होते रहे और 1905 में वो सेशन जज के ओहदे से रिटायर हुए। 1907 में सरकार ने अकबर को “ख़ान बहादुर” का ख़िताब दिया। 9 सितम्बर, 1931 को इलाहाबाद में उन्होंने आख़िरी साँस ली।