Numaainda Kahaaniyaan Manto (Paperback, Manto)
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About Book
'रेख़्ता कथा साहित्य' रेख़्ता बुक्स की नई कोशिश का नाम है जिसके तहत उर्दू के अज़ीम कहानीकारों की नुमाइन्दा कहानियाँ देवनागरी में संकलित की रही हैं| प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता कथा साहित्य’ सिलसिले के तहत प्रकाशित मश्हूर कहानीकार सआदत हसन मंटो की चुनिन्दा उर्दू कहानियों का संकलन है जिसे पाठकों के लिए देवनागरी लिपि में प्रस्तुत किया जा रहा है|
About Author
उर्दू साहित्य के सबसे प्रमुख कहानीकारों में शामिल सआ’दत हसन मन्टो का जन्म 11 मई, 1912 को लुधियाना, पंजाब में हुआ। उन्होंने उर्दू कथा-साहित्य को ख़याली और काल्पनिक क़िस्सों के माहौल से निकाल कर एक नए यथार्थ की ज़मीन पर स्थापित किया। उन्होंने ‘ठंडा गोश्त’, ‘टोबा टेक सिंह’, ‘काली शलवार’, ‘बू’, ‘खोल दो’, और ‘हतक’ सहित 250 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने कुछ वक़्त तक 'मुसव्विर', 'हुमायूँ' और 'आ'लमगीर' पत्रिका का संपादन भी किया। 1940 में उन्हें ऑल इंडिया रेडियो दिल्ली में नौकरी मिल गई जहाँ उन्होंने रेडियो के लिए 100 से अधिक ड्रामे लिखे। फिर रेडियो की नौकरी छोड़ मुम्बई आकर कितनी ही फिल्मों की कहानियों और संवादों और ढेरों नामवर और गुमनाम लोगों के शब्द-चित्रों की रचना की।
मन्टो ने काल्पनिक पात्रों के बजाए समाज के हर समूह और हर तरह के इन्सानों की रंगारंग ज़िन्दगियों को, उनकी मनोवैज्ञानिक और भावात्मक तहदारियों के साथ, अपनी कहानियों में पेश करते हुए समाज के घृणित चेहरे को बेनक़ाब किया। बटवारे के बा’द पाकिस्तान चले गए और वहीं रहकर अपनी सृजन-यात्रा जारी रखी। 18 जनवरी, 1955 को लाहौर में उन्होंने आख़िरी साँस ली।